Fresh FIR against Republic TV for inciting ‘disaffection’ among Mumbai Police
- Mahesh Gupta
The fourth FIR registered against Republic TV channel and its employees by the Mumbai police for allegedly defaming the Mumbai police and trying to cause “disaffection” among members of the police force. The FIR filed under Section 3(1) of the Police (Incitement to Disaffection) Act, 1922, along with IPC Section 500 (defamation).
दिल्ली हाईकोर्ट ने रिपब्लिक टीवी के "NEWS HOUR" टैगलाइन पर लगाई रोक
- अमरजीत सिंह माकन
दिल्ली हाई कोर्ट ने 'रिपब्लिक टीवी' के टैगलाइन 'NEWS HOUR' के इस्तमाल करने पर अंतरिम रोक लगा दी है। हाई कोर्ट ने यह आदेश टाइम्स ग्रुप की याचिका पर दिया है, जो कि यह टैगलाइन उनके चैनल 'टाइम्स नाउ' के प्राइमटाइम डिबेट शो के लिए भ्रामक हो सकती है। हालांकि हाई कोर्ट ने अर्नब गोस्वामी और उनकी कंपनी एआरजी आउटलेयर मीडिया प्रा. लि. को टैगलाइन "Nation Wants to KNOW" का इस्तेमाल करने से रोक नहीं लगाई
Delhi High Court Restrains Republic TV From Using Tagline 'News Hour'
- Mahesh Gupta
The Delhi High Court granted interim relief to “Times Now” news channel while restraining 'Republic TV' channel from using the tagline ‘NEWS HOUR’ or any other mark that may be deceptively similar to it for its prime time debate show.
कंगना रनौत पर राजद्रोह का केस दर्ज करने के लिए एक और याचिका
- अनीशा गर्ग
मुंबई की अदालत में अभिनेत्री कंगना रनौत के खिलाफ राजद्रोह का केस दर्ज करने की मांग को लेकर एक और याचिका दायर हो गई है। याचिका में कोर्ट से कंगना रनौत पर राजद्रोह के अपराध और दो धर्मों के बीच सांप्रदायिक तनाव भड़काने की दफाओं के तहत एफआईआर दर्ज करने का आदेश देने की मांग की गई है। याचिका पर 10 नवंबर को सुनवाई होगी। कंगना रनौत के खिलाफ यह याचिका मुंबई की अंधेरी कोर्ट में अर्जी दायर की गई है
जीवन बीमा के आवेदन फार्म में पुरानी बीमारी की जानकारी छिपाना गलत: सुप्रीम कोर्ट
- महेश गुप्ता
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि बीमा करवाने के लिए बीमा का अनुबंध भरोसे पर आधारित होता है, जिसके लिए जीवन बीमा लेने वाले व्यक्ति के लिये यह दायित्व हो जाता है कि वह हर वैसी जानकारियों का खुलासा बीमा के आवेदन फार्म मे करे जिनका बीमा संबंधित मुद्दों पर किसी प्रकार का असर हो सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग के फैसले को रद्द करते हुए टिप्पणी की कि जीवन बीमा के आवेदन फार्म में बीमा लेने वाले व्यक्ति के द्वारा अपनी पुरानी बीमारी की जानकारी छिपाना गलत होगा
दिल्ली की अदालतों में फिजिकल हियरिंग की मांग को लेकर वकीलों का प्रदर्शन
- अमरजीत सिंह माकन
कोराना काल के दौरान दिल्ली हाई कोर्ट और दिल्ली की जिला अदालतों में वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिए चल रही वर्चुअल हियरिंग को समाप्त करके फिर से फिजिकल हियरिंग शुरु करने की मांग को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट और जिला अदालतों के वकीलों ने दिल्ली हाई कोर्ट के सामने प्रदर्शन किया और हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस को ज्ञापन दिया
दिल्ली हाईकोर्ट ने कोरोना काल के आधार पर जमानत अवधि बढ़ाने से किया इंकार
- महेश गुप्ता
दिल्ली में कोरोना संकट काल के आधार पर मिली जमानत या पैरोल पर जेल से बाहर आए कैदियों की जमानत की मियांद बढ़ाने पर दिल्ली हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है। जमानत की अवधि को बढ़ाने से से इंकार के साथ ही दिल्ली हाई कोर्ट ने जेल से बाहर चल रहे कैदियों से सरेंडर कर वापस जेल में जाने को कहा है
हमारी चिंता है कि दिल्ली NCR के लोगों को सांस लेने के लिए साफ़ हवा मिले : चीफ जस्टिस बोबडे
- महेश गुप्ता
Supreme Court appoints Ex Judge M.B. Lokur as one-man panel to prevent Stubble- Burning Smog
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के पड़ोसी राज्यों पंजाब, हरियाणा और यूपी में पराली जलाए जाने की समस्या पर नियंत्रण के लिये सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस एम बी लोकुर की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया है। चीफ़ जस्टिस एस ए बोबडे ने कहा कि हमारी चिंता है कि दिल्ली और NCR के लोगों को सांस लेने के लिए साफ़ हवा मिल सके।
देखें, सरकार कैसे पल्टी मारती है केस-दर-केस : एन के सिंह
- एन के सिंह
कभी मीडिया की सकारात्मक भूमिका भी समझें
हाल हीं में एक टीवी चैनल “यूपीएससी जिहाद” शीर्षक से नौ एपिसोड की सीरियल दिखा रहा था, यह कहते हुए कि कुछ मुस्लिम संस्थाएं अपने लड़कों को प्रशासनिक सेवाओं में भेजने की “साजिश” कर रही हैं (लव-जेहाद की तरह जिसमें कहा जाता है कि मुसलमान लड़के, हिन्दू लड़कियों को फंसा कर शादी करते हैं और धर्म परिवर्तन भी) अपनी बात को इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिज्म का नायब नमूना बता कर चैनल कह रहा था कि पिछले कुछ वर्षों में मुसलमान युवा ज्यादा तादात में आईएएस और आईपीएस बने हैं (हकीकत उलटी है),
'आत्महत्या का प्रयास' पर कानूनों में विरोधाभास क्यों ?
- महेश गुप्ता
भारत का संविधान देश के हर नागरिक को जीने का अधिकार प्रदान करता है, लेकिन जीवन को खुद समाप्त करने का अधिकार किसी को भी नहीं देता है, भले ही उस इंसान की आर्थिक, मानसिक या स्वास्थ्य की स्थिति कितनी ही दयनीय क्यूं न हो। आत्महत्या की कोशिश को लेकर हमारे देश के कानूनों में आपसी विरोधाभास पैदा हो गया है. भारतीय दंड संहिता यानी आईपीसी की धारा 309 आत्महत्या के प्रयास को अपराध घोषित करती है, जबकि मानसिक स्वास्थ्य अधिनियम की धारा 115 इसे अपराध के दायरे से बाहर करती है.