कभी मीडिया की सकारात्मक भूमिका भी समझें

हाल हीं में एक टीवी चैनल “यूपीएससी जिहाद” शीर्षक से नौ एपिसोड की सीरियल दिखा रहा था, यह कहते हुए कि कुछ मुस्लिम संस्थाएं अपने लड़कों को प्रशासनिक सेवाओं में भेजने की “साजिश” कर रही हैं (लव-जेहाद की तरह जिसमें कहा जाता है कि मुसलमान लड़के, हिन्दू लड़कियों को फंसा कर शादी करते हैं और धर्म परिवर्तन भी) अपनी बात को इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिज्म का नायब नमूना बता कर चैनल कह रहा था कि पिछले कुछ वर्षों में मुसलमान युवा ज्यादा तादात में आईएएस और आईपीएस बने हैं (हकीकत उलटी है),

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