पिता की बिना वसीयत की संपत्ति पर बेटी का भी हक़ : सुप्रीम कोर्ट
- महेश गुप्ता
पिता की संपत्ति पर बेटियों के अधिकार को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फ़ैसला दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है संयुक्त परिवार में अगर किसी व्यक्ति की मौत हो गई है जिसका कोई बेटा नहीं है, और यदि उसने अपनी संपत्ति की कोई वसीयत नहीं की है तो उसकी संपत्ति पर उसकी बेटी का हक होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बेटी को अपने पिता के भाई के बेटों की तुलना में संपत्ति का हिस्सा देने में प्राथमिकता दी जाएगी। कोर्ट ने यह भी कहा है कि बेटियों के लिए इस तरह की व्यवस्था हिंदू उत्तराधिकार कानून 1956 लागू होने से पहले हुए संपत्ति के बंटवारे पर भी लागू होगी।
यह मामला तमिलनाडु का है जिसका निपटारा करते हुए सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एस अब्दुल नजीर और कृष्ण मुरारी की बेंच ने 51 पन्ने का फैसला दिया है। इस मामले में पिता की 1949 में मौत हो गई थी जिसने अपनी स्वअर्जित यानी अपनी कमाई हुई और बंटवारे में मिली संपत्ति की कोई वसीयत नहीं की थी। मद्रास हाई कोर्ट ने पिता के संयुक्त परिवार में रहने के चलते उनकी संपत्ति पर उनके भाई के बेटों को अधिकार दिया था लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने पिता की इकलौती बेटी के पक्ष में फैसला दिया है। सुप्रीम कोर्ट में यह मुकदमा बेटी के वारिस लड़ रहे थे।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि हिंदू उत्तराधिकार कानून बेटियों को पिता की संपत्ति पर बराबर हक का अधिकार देता है, यह कानून लागू होने से पहले की धार्मिक व्यवस्था में भी महिलाओं के संपत्ति अधिकार को मान्यता प्राप्त थी। यह पहले भी कई फैसलों में तय हो चुका है कि अगर किसी व्यक्ति का कोई बेटा न हो, तो भी उसकी संपत्ति उसके भाईयों के बेटों की बजाए उसकी बेटी को दी जाएगी। यह व्यवस्था उस व्यक्ति की अपनी तरफ से अर्जित संपत्ति के साथ-साथ उसे खानदानी बंटवारे में मिली संपत्ति पर भी लागू होती है.
सुप्रीम कोर्ट ने इस व्यवस्था का विस्तार अब 1956 से पहले हुए संपत्ति बंटवारे पर भी लागू कर दिया है जिसका असर देश की निचली अदालतों में लंबित संपत्ति बँटवारे के मुकदमों पर पड़ेगा।