दहेज प्रताड़ना मामले में पति के रिश्तेदारों के खिलाफ स्पष्ट आरोप के बिना मुक़दमा चलाना ग़लत : सुप्रीम कोर्ट
- महेश गुप्ता
सुप्रीम कोर्ट ने दहेज प्रताडऩा के मामले में एक महत्वपूर्ण आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि दहेज प्रताड़ना की दफ़ा 498A IPC के मामले में पति के रिश्तेदारों के खिलाफ स्पष्ट आरोप के बिना अदालत में मुक़दमा चलाना कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग है।
सुप्रीम कोर्ट के अनुसार पति के रिश्तेदारों यानि कि महिला के ससुराल वालों के खिलाफ सामान्य बहुप्रयोजन वाले आरोप के आधार पर केस चलाया जाना कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग है, इस तरह केस नहीं चलाया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने महिला के ससुरालियों के खिलाफ निचली अदालत में चल रहे दहेज प्रताडऩा के केस को खारिज कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस एस. अब्दुल नजीर की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि यदि पति के रिश्तेदारों, यानी महिला के ससुराल वालों के खिलाफ सामान्य और बहुप्रयोजन वाले आरोप के आधार पर मुकदमा चलाया जाता है तो यह कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग की तरह होगा। सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि महिला द्वारा दहेज प्रताडऩा, यानी आईपीसी की धारा-498ए के प्रावधान का पति के रिश्तेदारों के खिलाफ अपना दुर्भावनापूर्ण हितों की पूर्ति करने के लिए एक हथियार की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भले ही इस तरह के आपराधिक मामले में बरी होना संभावित ही क्यों न हो, फिर भी वह आरोपी के लिए एक गंभीर दाग छोड़ जाता है, कोर्ट ने कहा कि इस तरह के किसी प्रयोग को हतोत्साहित करने की जरूरत है.
इस मामले में महिला के पति और उसके रिश्तेदारों के खिलाफ दहेज प्रताडऩा का केस दर्ज किया गया था। एफआईआर और कानूनी कार्रवाई खारिज करने के लिए पति और उसके रिश्तेदारों ने पटना हाई कोर्ट में अर्जी दाखिल की थी, जिसे हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट में पति के रिश्तेदारों यानी महिला के ससुरालियों ने अर्जी दाखिल कर क्रिमिनल केस खारिज करने की गुहार लगा। याचिका में कहा गया कि उन्हें प्रताडि़त करने के लिए यह केस दर्ज किया गया है। वहीं महिला का आरोप था कि उसे दहेज के लिए मानसिक और शारीरिक तौर पर प्रताडि़त किया गया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सवाल यह है कि क्या पति के रिश्तेदारों यानी महिला के ससुरालियों के खिलाफ जनरल और बहुप्रयोजन वाले आरोप को खारिज किया जाए या नहीं?
सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसले में कहा कि दहेज प्रताडऩा का कानून महिलाओं को दहेज प्रताडऩा से बचाने के लिए बनया गया है. लेकिन, यह भी सही है कि हाल के सालों में विवाहिक विवाद काफी बढ़े हैं. शादी के संबंध में कई मामले में काफी तनाव देखने को मिला है. इस कारण इस बात की प्रवृत्ति बढ़ी है कि अपना दुर्भावनापूर्ण हितों की पूर्ति करने के लिए एक हथियार की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने पुराने फैसले का हवाला देकर कहा कि दहेज प्रताडऩा मामले में कानून का दुरुपयोग चिंता का विषय है। पति के रिश्तेदारों के खिलाफ इस कानून का दुरुपयोग होता है और उस दौरान उसके असर को नहीं देखा जाता है, अगर सामान्य और बहुप्रयोजन वाले आरोप की जाँच नहीं की गई तो यह कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग होगा। जब तक पहली नजर में पति के रिश्तेदार के खिलाफ साक्ष्य न हो तो इस तरह के अभियोजन चलाने को लेकर शीर्ष अदालत ने पहले ही कोर्ट को सचेत कर रखा है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पति की अपील नहीं है, लेकिन अन्य ससुरालियों ने अर्जी दाखिल की है, हमारा मानना है कि आरोप जनरल और बहुप्रयोजन वाला है. इस तरह केस नहीं चलाया जा सकता है. हम इस मामले में क्रिमिनल कार्रवाई को खारिज करते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आरोपियों के खिलाफ विशेष रोल तय नहीं है और जनरल व बहुप्रयोजन वाले आरोप के आधार पर आरोपी के खिलाफ केस नहीं चलाया जा सकता है।