सुप्रीम कोर्ट में 9 नए जजों ने पदभार संभाल लिया है। मंगलवार को चीफ जस्टिस एन वी रमना ने उन्हें सुप्रीम कोर्ट जज के पद की शपथ दिलाई। इनमें जज विभिन्न 8 हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस या जज थे। इनके अलावा एक वरिष्ठ वकील भी वकालत से सीधे सुप्रीम कोर्ट के जज नियुक्त हुए हैं।

सुप्रीम कोर्ट में जजों के कुल 34 पदों में 33 पद पर जजों की नियुक्तियां हो गई हैं

शपथ लेने वाले जजों की बड़ी संख्या के कारण शपथ समारोह का आयोजन 900 लोगों की क्षमता वाले ऑडिटोरियम में हुआ। हालांकि, कोविड प्रोटोकॉल के चलते कार्यक्रम में बहुत सीमित लोगों को अनुमति दी गई। इसमें सुप्रीम कोर्ट के सभी जजों के अलावा एटॉर्नी जनरल, सॉलिसीटर जनरल, बार एसोसिएशन के प्रतिनिधि, वरिष्ठ वकीलों के अलावा नए जजों के परिवार और मित्र उपस्थित रहे।

समारोह में सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा 24 जज आगे की 3 पंक्तियों में बैठे। चौथी पंक्ति में शपथ लेने वाले 9 जज बैठे. सबसे पहले रजिस्ट्रार स्तर के एक अधिकारी ने चीफ जस्टिस से कार्यक्रम शुरू करने की औपचारिक अनुमति मांगी. उनकी अनुमति के बाद अधिकारी ने एक-एक कर के हर नए जज की नियुक्ति के लिए जारी राष्ट्रपति के आदेश को पढ़ा. हर आदेश के पढ़े जाने के बाद नवनियुक्त जज का नाम पुकारा जाता और वह अग्रिम पंक्ति में चीफ जस्टिस के बगल में खाली कुर्सी पर आते. उसके बाद चीफ जस्टिस उन्हें पद की शपथ दिलाते।

जजों में शपथ लेने वालों में जस्टिस अभय श्रीनिवास ओका, जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस जितेंद्र कुमार माहेश्वरी, जस्टिस हिमा कोहली, जस्टिस बंगलोर वेंकटरमैया नागरत्ना, जस्टिस चुडलायिल तेवन रविकुमार, जस्टिस एम एम सुंदरेश, जस्टिस बेला माधुर्य त्रिवेदी, पामीदिगंतम श्री नरसिम्हा शामिल 

जजों के चयन करने वाले कॉलेजियम में सहमति न बन पाने के चलते करीब 2 साल से सुप्रीम कोर्ट में नई नियुक्ति नहीं हुई थी. इस कारण जजों के कुल 34 पदों में से सिर्फ 10 पद खाली हो गए थे। नई नियुक्तियों के बाद जजों की संख्या 33 हो गई है। इन जजों में से भविष्य में जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस बी वी नागरत्ना और पी एस नरसिम्हा भारत के मुख्य न्यायाधीश बनने की संभावना हैं. अब तक सुप्रीम कोर्ट में कोई भी महिला चीफ जस्टिस नहीं हुई है. सितंबर 2027 में जस्टिस नागरत्ना के रूप में भारत को पहली महिला चीफ जस्टिस मिल सकती है.

 सुप्रीम कोर्ट के इन 9 नए जजों की कानूनी पृष्ठभूमि इस प्रकार है........

  1. जस्टिस बीवी नागरत्ना 2008 में कर्नाटक हाईकोर्ट में एडिशनल जज नियुक्त की गई थीं, 2010 में उन्हें परमानेंट जज नियुक्त कर दिया गया। 2012 में फेक न्यूज के बढ़ते हुए मामलों को देखते हुए जस्टिस नागरत्ना और अन्य जजों ने केंद्र सरकार को निर्देश दिए थे कि वे मीडिया ब्रॉडकास्टिंग को रेगुलेट करने की संभावनाओं की जांच करें। हालांकि, उन्होंने मीडिया पर सरकारी नियंत्रण के खतरों से भी आगाह किया था।  
  1. जस्टिस हिमा कोहलीतेलंगाना हाईकोर्ट की जज थीं। वे इस हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस बनने वाली पहली महिला जज भी थीं। दिल्ली हाईकोर्ट में जज रह चुकी हैं। जस्टिस कोहली को भारत में लीगल एजुकेशन और लीगल मदद से जुड़े अपने फैसलों के लिए जाना जाता है। दिल्ली हाईकोर्ट के अपने कार्यकाल के वक्त उन्होंने दृष्टि बाधित लोगों को सरकारी शिक्षण संस्थानों में सुविधाएं दिए जाने का फैसला सुनाया था। इसके अलावा नाबालिग आरोपियों की पहचान की सुरक्षा को लेकर भी फैसला दिया था।  
  1. जस्टिस बेला त्रिवेदीगुजरात हाईकोर्ट में 9 फरवरी 2016 से जज थीं। 2011 में इसी हाईकोर्ट में एडिशनल जज थीं और इससे पहले राजस्थान हाईकोर्ट में भी एडिशनल जज रह चुकी हैं। इनका पूरा नाम बेला मनधूरिया त्रिवेदी है।  
  1. जस्टिस अभय श्रीनिवास ओकाबॉम्बे हाईकोर्ट में एडिशनल और परमानेंट जज रह चुके हैं। 2019 में कर्नाटक हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस अपॉइंट किए गए। जस्टिस ओका सिविल, कॉन्स्टिट्यूशनल और सर्विस मैटर्स के स्पेशलिस्ट माने जाते हैं। कर्नाटक हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रहते हुए उन्होंने लोगों के मौलिक अधिकारों की रक्षा और राज्यों की ज्यादतियों को लेकर फैसले दिए हैं और राज्यों की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाया है।  
  1. जस्टिस विक्रम नाथगुजरात हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रहे हैं। इससे पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज रह चुके हैं। इससे पहले उनका नाम आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिसकी तरह रिकमेंड किया गया था, पर तब केंद्र ने इस सिफारिश को नामंजूर कर दिया था। 2020 में कोरोना महामारी के दौरान वे देश के पहले चीफ जस्टिस थे, जिन्होंने हाईकोर्ट में वर्चुअल कार्यवाही शुरू की थी।  
  1. जस्टिस जितेंद्र कुमार माहेश्वरीसिक्किम हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रह चुके हैं। इससे पहले वे आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के भी चीफ जस्टिस रह चुके हैं। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में भी जज रह चुके हैं। उनका जन्म भी मध्य प्रदेश के जौरा में ही हुआ है। हाईकोर्ट की बेंच के लिए प्रमोट होने से पहले वे ग्वालियर में ही वकील थे। उन्होंने मध्य प्रदेश की मेडिकल फैसिलिटीज में खामियों पर PhD भी की है।  
  1. जस्टिस पीएस नरसिम्हासुप्रीम कोर्ट में वकालत कर रहे थे। बार से सीधे सुप्रीम कोर्ट में अपॉइंट होने वाले वे देश के नौंवें जज हैं और 2028 में चीफ जस्टिस भी बन सकते हैं। अगर ऐसा होता है तो बार से अपॉइंट होने के बाद चीफ जस्टिस बनने वाले वे तीसरे न्यायाधीश होंगे। 2014 से 2018 तक एडिशनल सॉलिसिटर जनरल भी रह चुके हैं।  
  1. जस्टिस एमएम सुंदरेशकेरल हाईकोर्ट के जज थे। 1985 में वकालत शुरू की थी, जिन्होंने मद्रास लॉ कॉलेज से लॉ की डिग्री ली।  
  1. जस्टिस सीटी रविकेरल हाईकोर्ट में जज रह चुके हैं। उनके पिता मजिस्ट्रियल कोर्ट में बेंच क्लर्क थे। उन्होंने केसों के स्पीड ट्रायल को लेकर बड़ा कमेंट किया था। उन्होंने कहा था कि कानून की उम्र लंबी होती है, पर जिंदगी छोटी होती है। ये कमेंट उन्होंने 2013 में करप्शन के एक मामले में दिया था और दो केसों को अलग किया था, ताकि उनके ट्रायल तेजी से हो सकें।