बिहार वोटर लिस्ट के लिए आधार भी मान्य: सुप्रीम कोर्ट
- महेश गुप्ता
बिहार में SIR यानी कि मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण को लेकर चल रहे विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि आधार कार्ड को भी पहचान के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि आधार कार्ड नागरिकता का प्रमाण नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण में वोटर लिस्ट अपडेट करने के मामले में बड़ा फैसला दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अब मतदाता अपने आधार कार्ड को भी पहचान के तौर पर इस्तेमाल कर सकते है, साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने यह भी साफ किया है कि आधार कार्ड नागरिकता का प्रमाण नहीं है। यानी कि अगर आपके पास आधार कार्ड है, तो आप वोटर लिस्ट में नाम जुड़वाने के लिए इसका इस्तेमाल कर सकते हैं, लेकिन इससे यह साबित नहीं होता कि आप भारत के नागरिक हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को निर्देश दिया है कि वह आधार को 12वें पहचान पत्र के रूप में शामिल करे। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि चुनाव आयोग को आधार नंबर की जांच करनी चाहिए ताकि यह पता चल सके कि वह असली है या नहीं।
गौरतलब है कि फिलहाल तक बिहार में वोटर लिस्ट अपडेट करने के लिए 11 तरह के दस्तावेज मान्य थे, जिनमें आधार कार्ड शामिल नहीं था। सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि कोई भी नहीं चाहता कि अवैध रूप से रहने वाले लोगों के नाम मतदाता सूची में शामिल हों। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सिर्फ हमारे नागरिकों को ही वोट देने का अधिकार है, और जो लोग नकली दस्तावेजों का इस्तेमाल करते हैं, उन्हें मतदाता सूची से बाहर कर देना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने यह बात चुनाव आयोग को निर्देश जारी करने के लिए कही ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि आधार को पहचान पत्र के रूप में स्वीकार किया जाएगा।