हाईवे पर अचानक गाड़ी रोकना लापरवाही माना जाएगा: सुप्रीम कोर्ट
- महेश गुप्ता

सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाया है, जिसमें कहा है कि हाईवे पर बिना किसी पूर्व चेतावनी के अचानक गाड़ी रोकना लापरवाही माना जाएगा। यह फैसला एक सड़क दुर्घटना में घायल हुए व्यक्ति की बीमा राशि तय करने को लेकर सुनवाई के दौरान आया, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईवे पर आगे जा रही गाड़ी की इस तरह की हरकत से पीछे आ रहे वाहनों को गंभीर खतरा हो सकता है, खासकर कि तब जब कोई संकेत दिए बिना आगे वाला अपनी गाड़ी रोक देता है।
सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि हाईवे तेज रफ्तार वाहनों के लिए बनाए गए होते हैं और ऐसे में अचानक रुकना न सिर्फ खुद ड्राइवर के लिए, बल्कि पीछे आ रहे अन्य वाहनों के लिए भी जानलेवा साबित हो सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि भारत के कई हाईवे पर शोल्डर या स्पीड ब्रेकर के संकेत नहीं होते हैं, इसलिए ड्राइवर को और ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत होती है।
सुप्रीम कोर्ट ने ये स्पष्ट किया कि अगर कोई मजबूरी या इमरजेंसी की वजह से गाड़ी रोकनी भी पड़े, तब भी ड्राइवर की जिम्मेदारी बनती है कि वह पीछे आ रहे वाहनों को किसी न किसी तरीके से अलर्ट करें। आगे चल रही गाड़ी के बिना चेतावनी के अचानक ब्रेक लगाने से दुर्घटना की जिम्मेदारी ड्राइवर पर ही आती है।
सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी तमिलनाडु में हुए एक सड़क दुर्घटना से जुड़ी थी, जिसमें इंजीनियरिंग के एक छात्र की टांग काटनी पड़ी थी। यह मामला 2017 में कोयंबटूर का है, जहां मोहम्मद हकीम नाम के छात्र की मोटरसाइकिल हाईवे पर अचानक एक कार से टकरा गई, जो बिना चेतावनी के रुक गई थी। टक्कर के बाद हकीम सड़क पर गिर गया था और उसके पीछे आ रही बस ने उसे कुचल दिया था, बाद में कार ड्राइवर ने बताया कि उसकी गर्भवती पत्नी की तबीयत खराब हो गई थी, इसलिए उसने गाड़ी अचानक रोकी थी।
इसके अलावा मोटरसाइकिल चालक छात्र हकीम पर भी यह आरोप लगा कि वह लाइसेंस के बिना बाइक चला रहा था और आगे चल रही गाड़ी से उचित दूरी नहीं बनाए हुए था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने माना कि इस पूरे हादसे की शुरुआत आगे जा रही कार के अचानक रुकने से हुई थी। सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कार ड्राइवर को 50 प्रतिशत जिम्मेदार, बस मालिक को 30 प्रतिशत जिम्मेदार, और घायल छात्र हकीम को 20 प्रतिशत जिम्मेदार माना।
इससे पहले मोटर एक्सिडेंट क्लेम्स ट्रिब्यूनल ने कार ड्राइवर की कोई गलती नहीं मानी थी और बस ड्राइवर व छात्र हकीम को जिम्मेदार माना था। इसके बाद मद्रास हाईकोर्ट ने मामले में कार ड्राइवर पर थोड़ी ज्यादा जिम्मेदारी डाली, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कार ड्राइवर को सबसे बड़ी गलती का कारण माना है।