सुप्रीम कोर्ट ने महिला आईपीएस अधिकारी शिवांगी गोयल और उनके माता-पिता को शिवांगी के पति और सास ससुर से माफ़ी मांगने का आदेश दिया है। यह माफीनामा तीन दिनों के अंदर हिंदी व अंग्रेज़ी के दो न्यूज़पेपर और फेसबुक, इंस्टाग्राम, यूट्यूब और इसी तरह के अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भी प्रकाशित और प्रसारित करवाना होगा।

सुप्रीम कोर्ट ने वैवाहिक विवाद के मामले में अपने विशेषाधिकारों का इस्तेमाल करते हुए बड़ा फैसला सुनाया है, कोर्ट ने महिला आईपीएस अधिकारी शिवांगी गोयल को अपने पति और ससुराल वालों से बिना शर्त माफी का आदेश दिया है। महिला आईपीएस अधिकारी ने अपने पूर्व पति और ससुराल वालों पर उत्तर प्रदेश में 6 झूठे मुकदमे दर्ज कराए और उन्हें जेल भिजवा दिया था।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस दौरान महिला के पति और उसके सास-ससुर को शारीरिक और मानसिक पीड़ा सहन करनी पड़ी, जिसकी कोई भरपाई नहीं हो सकती है। यह आदेश देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने महिला के पति और सास ससुर पर चल रहे सभी आपराधिक मामलों को भी रद कर दिया।

चीफ जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस एजी मसीह की खंडपीठ ने इस विवाह को भी समाप्त कर दिया, क्योंकि आईपीएस महिला और उसका पति वर्ष 2018 से अलग रह रहे थे। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि उनकी बेटी अपनी मां के साथ रहेगी और पति और परिवार के सदस्य उससे बेरोक मिल सकेंगे।

सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में कहा कि पत्नी द्वारा दायर आपराधिक मामलों के कारण पति को 109 दिन और ससुर को 103 दिन जेल में बिताने पड़े। कोर्ट ने महिला आईपीएस को सार्वजनिक रूप से माफी मांगने का आदेश देते हुए कहा कि महिला और उसके माता-पिता महिला के पति और पति के परिवार के सदस्यों से बिना शर्त माफी मांगेंगे, जिसे प्रसिद्ध एक अंग्रेजी और एक हिंदी न्यूज़पेपर के राष्ट्रीय संस्करण में प्रकाशित करवाया जाएगा, साथ ही न्यायाधीशों ने कहा कि यह माफीनामा कोर्ट के इस आदेश के तीन दिनों के भीतर फेसबुक, इंस्टाग्राम, यूट्यूब और इसी तरह के अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भी प्रकाशित और प्रसारित करवाया जाएगा।

कोर्ट ने कहा कि इसे दायित्व स्वीकारोक्ति नहीं माना जाएगा और इसका कानून के तहत उत्पन्न होने वाले कानूनी अधिकारों, दायित्वों या परिणामों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।