रीयल एस्टेट कंपनियों के खिलाफ उपभोक्ता अदालत में भी दायर कर सकते हैं मुकदमा : सुप्रीम कोर्ट
- महेश गुप्ता
मकान खरीदारों के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने रीयल एस्टेट कंपनी मेसर्स इम्पेरिया स्ट्रक्चरर्स लि. की दलील खारिज कर दी जिसमें रीयल एस्टेट (नियमन और विकास) कानून 'रेरा' के लागू होने के बाद निर्माण और परियोजना के पूरा होने से जुड़े सभी मामलों का निपटान केवल इसी कानून के तहत होगा और राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निपटान आयोग (एनसीडीआरसी) को इससे जुड़ी उपभोक्ताओं की शिकायतों पर विचार नहीं करना चाहिए
सुप्रीम कोर्ट ने मकान खरीदारों के पक्ष में एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए कहा है कि रीयल एस्टेट कंपनियों से जुड़े विवादों के निपटारे के लिए 2016 में लागू विशेष कानून रेरा के बावजूद मकान खरीदार घरों को सौंपने में देरी को लेकर संबंधित कंपनी के खिलाफ अपनी रकन की वापसी और क्षतिपूर्ति जैसी बातों को लेकर उपभोक्ता अदालत में भी मुकदमा दायर कर सकते हैं।
जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस विनीत सरन की बेंच ने कहा कि हालांकि उपभोक्ता अदालत के मामले न्यायिक कार्यवाही है, लेकिन दिवानी प्रक्रिया संहिता के तहत उपभोक्ता अदालत सिविल कोर्ट नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 2016 के विशेष कानून 'रेरा' के तहत मकान खरीदारों के हितों की रक्षा की व्यवस्था की गयी है, बावजूद इसके अगर मकान के खरीददार कानून के तहत उपभोक्ता की श्रेणी में आते हैं तो उपभोक्ता अदालत के पास मकान खरीदारों की शिकायतों की सुनवाई का अधिकार है।