चीफ जस्टिस बोबडे ने किया 'न्याय कौशल' का उद्घाटन, सभी अदालतों में हो सकेगी ई-फाइलिंग
- Mahesh Gupta
CJI Sharad Arvind Bobde inaugurates India's first-ever E-resource centre 'Nyay Kaushal' at Judicial Officers Training Institute in Nagpur, Nyay Kaushal will facilitate e-filling of cases in courts across the country
देश के चीफ जस्टिस शरद अरविंद बोबडे ने नागपुर में न्यायिक अधिकारी प्रशिक्षण संस्थान में देश के पहले ई-रिसोर्स सेंटर 'न्याय कौशल' केन्द्र का उद्घाटन किया। देश में न्यायिक व्यवस्था को तेज गति देने के लिए ई-संसाधन केंद्र न्याय कौशल बनाया गया है।
न्याय कौशल केन्द्र देश की सभी जिला अदालतों, उच्च न्यायालयों और सुप्रीम कोर्ट में मामलों की ई-फाइलिंग की सुविधा मुहैया कराएगा।
न्याय होना चाहिए, भले ही आसमान क्यों न गिर रहा हो: चीफ जस्टिस बोबडे
चीफ जस्टिस ने कहा कि किसी को भी यह विश्वास नहीं था कि 4 हफ्तों में एक विशाल कार्य पूरा किया जा सकता है। न्याय कौशल के जरिए लोग कहीं से भी अपनी याचिका ऑनलाइन कोर्ट में दाखिल कर सकते हैं। इस अवसर पर सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और बॉम्बे हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस दीपांकर दत्ता भी मौजूद थे।
इस अवसर पर चीफ जस्टिस बोबडे ने कहा कि कोरोना वायरस महामारी ने हमें नई और पुरानी व्यवस्थाओं के संयोजन के साथ काम के एक नए माहौल के लिए प्रशिक्षण प्रदान किया है। कोविड-19 वैश्विक महामारी ने अदालतों में सामान्य फिजिकल सुनवाई के लिए बड़ी चुनौती खड़ी की है और इसके विकल्प में वर्चुअल सुनवाई एक उचित समाधान नहीं बन पाई है। उन्होंने कहा कि इसने लोगों को दो वर्गों में बांट दिया है, जिनकी तकनीक तक पहुंच है और जिनकी यह पहुंच नहीं है।
चीफ जस्टिस बोबडे ने कहा कि हमने सुप्रीम कोर्ट को प्रतिबंधों के साथ चलाने की कोशिश की, लेकिन इस तरह से अदालत का संचालन जारी रखना संभव नहीं था। कोरोना महामारी कुछ ऐसी थी जैसे आसमान गिरा हो, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं किया जा रहा था। चीफ जस्टिस ने कहा कि इन सब के बाद भी, जैसा कि न्याय के क्षेत्र में एक पुरानी कहावत है कि..... न्याय होना चाहिए, भले ही आसमान क्यों न गिर रहा हो।