Supreme Court stays CBI probe against Uttarakhand CM Trivendra Singh Rawat

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने मुख्यमंत्री के खिलाफ 25 लाख रूपये की रिश्वतखोरी के भ्रष्टाचार के आरोपों की सीबीआई जांच करवाने के नैनीताल हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी है और आरोप लगाने वाले पत्रकारों को नोटिस जारी कर 4 सप्ताह में जवाब देने को कहा है। मामले में दो पत्रकारों ने आरोप लगाया था कि वर्ष 2016 में जब त्रिवेंद्र सिंह रावत भाजपा के झारखंड प्रभारी थे, तब झारखंड 'गौ सेवा आयोग' के अध्यक्ष पद पर एक व्यक्ति की नियुक्ति करवाने के लिए रावत ने रिश्वत के तौर पर अपने रिश्तेदारों के बैंक खातों में 25 लाख रूपये ट्रांसफर करवाए थे

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाई कोर्ट में मुख्यमंत्री को सुने बगैर ही हाईकोर्ट द्वारा इस तरह का सीबीआई जांच का आदेश देना हैरान करने वाला है, हाई कोर्ट में पत्रकारों की याचिका में उनके खिलाफ उत्तराखंड में दर्ज मुकदमें रद्द करने की मांग की गई थी लेकिन याचिका में रावत के खिलाफ सीबीआई जांज की मांग का अनुरोध नहीं किया गया था।

रावत की ओर से अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने सुनवाई के दौरान कहा कि मुख्यमंत्री का पक्ष सुने बगैर सीबीआई जांच की एफआईआर दर्ज नहीं की जा सकती और इस तरह का आदेश निर्वाचित सरकार को अस्थिर करेगा। वेणुगोपाल ने कहा कि किसी भी निर्वाचित सरकार को इस तरह से अस्थिर नहीं जा सकता।

हाईकोर्ट ने अपने 27 अक्टूबर के आदेश में कहा था कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के खिलाफ आरोपों की प्रकृति पर विचार करते हुए सच को सामने लाना उचित होगा, जो कि राज्य के हित में होगा जिससे कि संदेह दूर होगा, इसलिए मामले की जांच सीबीआई करे। हाईकोर्ट ने यह आदेश पत्रकार उमेश शर्मा और शिव प्रसाद सेमवाल की याचिकाओं पर दिया था। याचिकाओं में पत्रकारों ने उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर रद्द करने का आग्रह किया था।