सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि पति के देहांत के बाद दोबारा शादी करने वाली महिला अपने स्वर्गीय पति के बच्चे का उपनाम तय कर सकती है और बच्चे को अपनी दूसरी शादी वाले नए परिवार में शामिल कर सकती है। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस कृष्ण मुरारी की बेंच ने आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के फैसले को दरकिनार कर दिया।


आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने एक मां को अपने बच्चे का उपनाम बदलने और अपने नए पति का नाम केवल ‘सौतेले पिता’ के रूप में रिकॉर्ड में दिखाने का निर्देश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट का इस तरह का निर्देश क्रूर और नासमझी वाला है। सुप्रीम कोर्ट में दायर यह अपील पति की मृत्यु के बाद दूसरी शादी करने वाली मां द्वारा बच्चे को दिए जाने वाले उपनाम को लेकर विवाद से संबंधित थी

अपने स्वर्गीय पति के बच्चे के उपनाम को बहाल करने के लिए मां ने आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट द्वारा जारी निर्देश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने कहा था कि जहां तक बच्चे के पिता के नाम का संबंध है, जहां कहीं भी रिकॉर्ड की अनुमति हो, बच्चे के स्वर्गवासी पिता का नाम दिखाया जाएगा और ऐसी अनुमति नहीं हो तो मां के नए पति के नाम का ‘सौतेले पिता’ के रूप में उल्लेख किया जा सकता है। ब्यूरो

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अपने पहले पति के निधन के बाद, बच्चे का एकमात्र प्राकृतिक अभिभावक होने के नाते मां को आखिरकार अपने नए परिवार में बच्चे को शामिल करने और बच्चे का उपनाम तय करने से कानूनी रूप से कैसे रोका जा सकता है।