सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों पर रोक लगाए जाने पर पर कहा है कि यह किसी समुदाय या किसी समूह के खिलाफ नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उल्लास की आड़ में वह लोगों के अधिकारों के उल्लंघन का आदेश नहीं दे सकता।

जस्टिस एम आर शाह और जस्टिस ए एस बोपन्ना की बेंच ने साफ़ किया कि वह चाहते हैं कि न्यायालय के आदेशों का पूरी तरह से पालन हो। सुप्रीम कोर्ट ने पटाखा उत्पादकों से कहा कि आनंद करने की आड़ में वे नागरिकों के जीवन से खिलवाड़ नहीं कर सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम किसी समुदाय विशेष के खिलाफ नहीं हैं। हम कड़ा संदेश देना चाहते हैं कि हम नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए यहां पर हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पटाखों पर रोक का पहले का आदेश पटाखों पर रोक लगाने के लिए व्यापक रूप से कारण बताने के बाद दिया गया था। कोर्ट ने कहा कि रोक सभी पटाखों पर नहीं लगाई गई है। यह व्यापक जनहित में है। एक विशेष तरह की धारणा बनाई जा रही है। इसे इस तरह से नहीं दिखाया जाना चाहिए कि यह रोक किसी विशेष उद्देश्य के लिए लगाई गई है। पिछली बार हमने कहा था कि हम किसी के आनंद के आड़े नहीं आ रहे लेकिन हम लोगों के मौलिक अधिकारों के रास्ते में भी नहीं आ सकते।’

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उन अधिकारियों को कुछ जिम्मेदारी सौंपी जानी चाहिए जिन्हें आदेश को जमीनी स्तर पर लागू करने का अधिकार दिया गया है। पीठ ने कहा कि आज भी पटाखे बाजार में खुलेआम मिल रहे हैं। पीठ ने यह भी कहा कि हम संदेश देना चाहते हैं कि हम यहां पर लोगों के अधिकारों की रक्षा के लिए हैं। हमने पटाखों पर सौ प्रतिशत रोक नहीं लगाई है। हर कोई जानता है कि पटाखों से होने वाले प्रदूषण के कारण दिल्ली के लोगों पर क्या बीत रही है।

सुप्रीम कोर्ट ने ने पटाखा के छह निर्माताओं से कारण बताने को कहा था कि उन्हें सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन करने पर दंडित क्यों नहीं किया जाए। इससे पहले, न्यायालय ने पटाखों की बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने से इनकार कर दिया था और कहा था कि पटाखों की बिक्री केवल लाइसेंस प्राप्त व्यापारी ही कर सकते हैं और केवल हरित पटाखे ही बेचे जा सकते हैं। पटाखों की ऑनलाइन बिक्री पर पूरी तरह रोक है। सुप्रीम कोर्ट ने वायु प्रदूषण को रोकने के लिए देशभर में पटाखों के निर्माण और बिक्री पर रोक लगाने के लिए दायर याचिका पर यह फैसला सुनाया।