सुप्रीम कोर्ट ने बच्चे की कस्टडी के अपने ही पुराने फैसले को पलटा
- महेश गुप्ता
सुप्रीम कोर्ट ने एक बच्चे की कस्टडी को लेकर एक अहम आदेश सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने 12 वर्षीय लड़के की कस्टडी उसके पिता को सौंपने के अपने ही 10 महीने पुराने फैसले को पलट दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने बच्चे की कस्टडी माँ को सौंपने का आदेश दिया है।
यह मामला 12 साल के एक बच्चे से जुड़ा है जो माता-पिता के तलाक और बच्चे की कस्टडी के विवाद में मानसिक रूप से पूरी तरह टूट चुका था। सुप्रीम कोर्ट ने बच्चे की भावनात्मक स्थिति को समझते हुए उसे फिर से मां की कस्टडी में भेज दिया, जिसे पहले सुप्रीम कोर्ट ने पिता को सौंपा हुआ था।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद बच्चा वेल्लोर के क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज में मनोचिकित्सा उपचार ले रहा था। सुप्रीम कोर्ट ने माना कि बच्चे को माँ की बजाय पिता के पास भेजना बच्चे को एक एलियन वातावरण में रखने जैसा था, जहां वह खुद को असुरक्षित महसूस करता था। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि मां की दूसरी शादी ने उसकी मातृत्व भावना को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बच्चा अपनी मां, सौतेले भाई और सौतेले पिता के साथ खुद को सुरक्षित महसूस करता है. उसकी शिक्षा और व्यवहार में भी कोई समस्या नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बच्चे की मेडिकल रिपोर्ट यह दर्शाती हैं कि बच्चे का मां के पास रहना, उसके मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य के लिए बेहतर है।