हाईकोर्ट जज जस्टिस यशवंत वर्मा के दिल्ली स्थित घर से बरामद हुई करोड़ों की नकदी के मामले में केन्द्र सरकार जस्टिस वर्मा को जज की कुर्सी से हटाने के लिए महाभियोग की तैयारी कर रही है, दूसरी तरफ जस्टिस वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित “इन हाउस जांच” की रिपोर्ट को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। इस रिपोर्ट में जस्टिस वर्मा के बंगले में मिली नकदी का स्रोत न बता पाने पर जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग की सिफारिश की गई है। जस्टिस वर्मा की दलील है कि उनके बंगले में स्टोररूम में यह नगदी थी और स्टोर रूम पर उनका कोई नियंत्रण नहीं था। जस्टिस वर्मा की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला इन हाउस जांच रिपोर्ट की वैधता तय करेगा।

जज कैश कांड में केन्द्र सरकार जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की तैयारी कर रही है, वहीं जस्टिस वर्मा अपनी कुर्सी बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए हैं। जस्टिस यशवंत वर्मा ने इन हाउस इन्क्वायरी रिपोर्ट को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।
गौरतलब है कि पिछली 14 मार्च को होली की रात करीब 11.35 बजे जस्टिस वर्मा के दिल्ली स्थित सरकारी बंगले में आग लग गई थी। तब जस्टिस वर्मा दिल्ली हाईकोर्ट में नियुक्त थे। घटना के दिन जस्टिस वर्मा और उनकी पत्नी दिल्ली से बाहर थे। तब उनके परिवार वालों ने आग बुझाने के लिए फायर ब्रिगेड को फोन लगाया। इस दौरान वहां बड़ी मात्रा में नोटों की गड्डी मिली थी। बताया जाता है कि एक पूरा कमरा नोटों से भरा मिला था, जिसमें काफी नोट जल गए थे।
इस घटना के बाद सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने 22 मार्च को तीन सदस्यीय एक केंद्रीय इन‑हाउस जांच समिति गठित की, जिसमें पंजाब-हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक हाईकोर्ट के जज शामिल थे। जांच समिति की रिपोर्ट में पाया गया नकदी जस्टिस वर्मा और उनके परिवार की थी और जस्टिस वर्मा ने इसका सोर्स नहीं बताया। इसके बाद जांच समिति ने महाभियोग की सिफारिश की, जिसे केंद्र सरकार ने गंभीरता से लिया है. इसी कैश कांड के बाद जस्टिस वर्मा का दिल्ली हाईकोर्ट से इलाहाबाद हाईकोर्ट ट्रांसफर किया गया था.

समिति ने उन्हें इस्तीफा देने की भी सलाह दी थी. मगर उन्होंने इससे इनकार कर दिया. उन्होंने ऐसा करना अन्याय के सामने झुकने के बराबर होगा. वहीं, जब सरकार ने जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की तैयारी कर ली है इससे ठीक पहले में उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है और इन हाउस इन्क्वायरी रिपोर्ट को चुनौती दी है.

जस्टिस वर्मा का तर्क है कि जांच समिति ने उन्हें सुनने का पर्याप्त अवसर नहीं दिया. अगर सुप्रीम कोर्ट इस पक्ष को स्वीकारता है, तो रिपोर्ट की वैधानिक वैधता पर सवाल उठेंगे. वर्मा ने रिपोर्ट को ढोंग बताते हुए आरोप लगाया कि उन्हें सुनवाई का अवसर तक नहीं दिया गया. उन्होंने कहा कि स्टोररूम एक सामान्य उपयोग वाला आवंटित रूम था और उस पर उनका कोई नियंत्रण नहीं था.

अगर सुप्रीम कोर्ट जांच रिपोर्ट को वैध ठहराता है, तो महाभियोग प्रक्रिया संसद में आगे बढ़ सकती है.