उदयपुर फाइल्स की रिलीज पर दिल्ली हाईकोर्ट ने लगाई रोक, सांप्रदायिक विद्वेष भड़कने की आशंका
- Kanoon Live
जमीयत उलेमा-ए-हिंद की याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने फिल्म उदयपुर फाइल्स की रिलीज पर रोक लगा दी है। अदालत ने फिल्म निर्माता को केंद्र सरकार के समक्ष जाने के लिए कहा। अदालत ने आगे कहा कि सीबीएफसी द्वारा फिल्म के प्रमाणन के विरुद्ध दायर पुनरीक्षण आवेदन पर निर्णय लेने तक फिल्म रिलीज नहीं होगी। फिल्म 11 जुलाई को रिलीज होने वाली थी।
नई दिल्ली। दर्जी कन्हैया लाल की हत्या पर आधारित फिल्म उदयपुर फाइल्स आज रिलीज नहीं होगी। रिलीज के खिलाफ जमीयत उलेमा-ए-हिंद द्वारा दायर याचिका पर दो चरणों में करीब चार घंटे से अधिक समय तक चली सुनवाई के बाद अदालत ने कहा कि केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) द्वारा फिल्म को दिए गए प्रमाणन के विरुद्ध जमीयत उलेमा-ए-हिंद द्वारा दायर पुनरीक्षण आवेदन पर केंद्र सरकार द्वारा अंतरिम राहत पर निर्णय लेने तक फिल्म के रिलीज पर रोक जारी रहेगी। हालांकि, मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय व न्यायमूर्ति अनीश दयाल की पीठ ने अपने रिट अधिकार क्षेत्र का प्रयोग करने से इन्कार कर दिया।
पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ताओं को पहले सिनेमैटोग्राफ अधिनियम की धारा-छह के तहत पुनर्विचार के लिए अपने वैधानिक उपाय का उपयोग करना चाहिए। अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ताओं को आज से दो दिनों के भीतर अधिनियम की धारा-छह के तहत पुनरीक्षण शक्तियों का प्रयोग करने की अनुमति दे दी है।
न्यायालय ने कहा कि कोई तीसरा पक्ष भी धारा-छह के तहत पुनरीक्षण शक्तियों का प्रयोग कर सकता है। पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता ने धारा-छह के तहत वैधानिक उपाय का सहारा नहीं लिया है। धारा-छह केंद्र सरकार को फिल्म को अप्रमाणित घोषित करने या फिल्म के प्रदर्शन पर रोक जैसे अंतरिम उपाय प्रदान करने के लिए पर्याप्त शक्तियां प्रदान करता है।
पीठ ने कहा कि ऐसा नहीं है कि इस न्यायालय के लिए असाधारण अधिकार क्षेत्र का प्रयोग करना अनुचित है, लेकिन मामले के तथ्यों को ध्यान में रखते हुए अदालत का मत है कि याचिकाकर्ता को केंद्र सरकार से संपर्क करना चाहिए था। अदालत ने निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता द्वारा पुनरीक्षण याचिका दायर करने पर सरकार इस पर एक सप्ताह के भीतर विचार कर निर्णय लेगी।
अदालत ने निर्णय में कहा कि फिल्म को 20 जून को प्रमाणन दिया गया था, लेकिन जारी किए गए ट्रेलर में फिल्म के कुछ अप्रमाणित अंश थे और निर्माता ने स्वीकार किया गया है कि ट्रेलर के टीजर वर्जन का प्रसार बिना प्रमाणन के किया गया था। सुनवाई के दौरान याची की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि इस फिल्म में अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्य की समलैंगिकता और यौन विकृति दिखाने वाले दृश्य हैं। फिल्म में भाजपा नेता नूपुर शर्मा का नाम नूतन शर्मा रखा गया है, उनकी टिप्पणी की विषयवस्तु इसमें मौजूद है।
निर्माता को 55 कट करने संबंधी संशोधन करने का आदेश दिया
उन्होंने कहा कि मैंने फिल्म देखी है और पूरी फिल्म समुदाय के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि भले याचिका खारिज की जाए, लेकिन अदालत फिल्म देखे और निर्णय करे। वहीं, दूसरी तरफ सेंसर बोर्ड व केंद्र सरकार की तरफ से पेश हुए एएसजी ने तर्क दिया है कि बोर्ड द्वारा फिल्म प्रमाणन के लिए की गई प्रार्थना पर विचार करने के बाद निर्माता को 55 कट करने संबंधी संशोधन करने का आदेश दिया गया था। यह भी कहा कि जहां तक याचिका में किए गए कथनों का संबंध है, संशोधन द्वारा प्रत्येक आपत्ति का समाधान कर दिया गया है और आज की तारीख में ऐसी कोई शिकायत अस्तित्व में नहीं है।