सुप्रीम कोर्ट में नौकरियों में पहली बार लागू हुई SC-ST आरक्षण नीति
- महेश गुप्ता
सुप्रीम कोर्ट में स्टाफ़ नौकरियों में पहली बार SC-ST आरक्षण नीति लागू हो गई है। इससे कर्मचारियों को प्रमोशन और सीधी भर्ती में रिजर्वेशन का फायदा मिलेगा। सुप्रीम कोर्ट का ये फैसला उन लोगों के लिए अच्छी खबर है, जो SC और ST समुदाय से आते हैं। वो सुप्रीम कोर्ट में नौकरी करना चाहते हैं। 23 जून से यह नियम लागू हो गया है। सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार ने 24 जून को जारी नोटिस में यह जानकारी दी।
देश की सर्वोच्च अदालत ने बड़ा फैसला लिया है कि अब सुप्रीम कोर्ट में SC और ST के लिए स्टाफ की भर्तियों में आरक्षण होगा। यह पहली बार है जब सुप्रीम कोर्ट ने स्टाफ़ की नौकरियों में ऐसा किया है। यह बदलाव चीफ जस्टिस बीआर गवई के कार्यकाल में हुआ है। चीफ जस्टिस अनुसूचित जाति से आने वाले दूसरे चीफ जस्टिस हैं।
इसका आदेश का मतलब है कि अगर किसी कर्मचारी को आरक्षण लिस्ट में कोई गलती दिखती है, तो वे भर्ती विभाग के रजिस्ट्रार को बता सकते हैं। यह आरक्षण अलग-अलग पदों के लिए है। जैसे कि सीनियर पर्सनल असिस्टेंट, असिस्टेंट लाइब्रेरियन, जूनियर कोर्ट असिस्टेंट, जूनियर कोर्ट असिस्टेंट कम जूनियर प्रोग्रामर, जूनियर कोर्ट अटेंडेंट और चेंबर अटेंडेंट। इस नीति के अनुसार, अनुसूचित जाति SC कैटेगरी के लिए 15 फीसदी और अनुसूचित जनजाति ST कैटेगरी के लिए 7.5 फीसदी पद आरक्षित होंगे।
सुप्रीम कोर्ट में स्टाफ़ की सीधी भर्ती में आरक्षण नहीं था। यह पहली बार है जब ऐसा हुआ है। चीफ जस्टिस बी.आर. गवई ने इस फैसले को लागू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से SC और ST समुदाय के लोगों को फायदा होगा। अब उन्हें भी सुप्रीम कोर्ट में नौकरी पाने में आरक्षण का फायदा मिलेगा। इससे सुप्रीम कोर्ट में काम करने वाले लोगों में विविधता आएगी। यह फैसला सामाजिक न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।