सुप्रीम कोर्ट में एक दुर्लभ नजारा देखने को मिला, जब एडवोकेट कपिल सिब्बल किसी केस में बहस नहीं कर रहे थे बल्कि देश के चीफ़ जस्टिस डी ई चंद्रचूड़ के साथ केसों के निपटारे के लिए बेंच में शामिल होकर फैसले सुना रहे थे। इतना ही नहीं इसी बेंच ने पति- पत्नी के बीच झगड़े के चलते उनके उजड़ते हुए परिवार को बचा लिया।

सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर से इतिहास रच दिया है। चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ के साथ बेंच पर सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल बैठे। यह पहली बार था जब सिब्बल बेंच की ओर थे, बार की तरफ नहीं। यह अवसर था सुप्रीम कोर्ट में लगी विशेष लोक अदालत का। यहां मीडिया के कैमरों को भी इजाजत दी गई थी। लोक अदालत में सीजेआई और सिब्बल के साथ जस्टिस जेबी पारदीवाला, जस्टिस मनोज मिश्रा और सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड एसोसिएशन के अध्यक्ष विपिन नायर भी मौजूद रहे।

चीफ़ जस्टिस ने कहा कि लोक अदालत का उद्देश्य छोटे-छोटे मामलों का निपटारा करना है। लोगों को यह एहसास नहीं है कि सुप्रीम कोर्ट में कितने छोटे-छोटे मामले आते हैं। हम सेवा, श्रम विवाद, भूमि अधिग्रहण और मोटर दुर्घटना दावा जैसे मामलों को लोक अदालत में सुनवाई के लिए चुनते हैं। चीफ़ जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि न्यायाधीशों के साथ लोक अदालत पैनल के हिस्से के रूप में बार सदस्यों की उपस्थिति ने पूरे समाज को सही संदेश दिया है कि हम न्याय करने के अपने प्रयासों में एकजुट हैं, खासकर इन छोटे मामलों में शामिल नागरिकों के लिए।

चीफ़ जस्टिस ने लोक अदालत में आए एक मामले का जिक्र करते हुए कहा कि मुझे एक मामला याद है जिसमें पति ने पटियाला हाउस कोर्ट में तलाक की कार्यवाही दायर की थी और उसकी पत्नी ने भरण-पोषण की कार्यवाही दायर की थी और बच्चों की कस्टडी के लिए आवेदन किया था। वे दोनों प्री-लोक अदालत में एक साथ आए और दोनों ने फैसला किया कि वे साथ रहेंगे। इसलिए जब वे दोनों लोक अदालत के सामने आए, तो मैंने उनसे पूछा, और उन्होंने कहा कि उन्होंने खुशी-खुशी साथ रहने का फैसला किया है। पत्नी ने कहा कि मुझे भरण-पोषण नहीं चाहिए क्योंकि हम बहुत खुशी से साथ रह रहे हैं।