सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व चीफ जस्टिस एवं बीजेपी सांसद रंजन गोगोई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट की महिला कर्मचारी के यौन उत्पीड़न मामले में खुद संज्ञान लेकर शुरू की गई सुनवाई बंद कर दी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले को दो साल बीत चुके हैं और सुप्रीम कोर्ट के जज के खिलाफ साजिश की आशंका की जांच में इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड हासिल करने की संभावनाएं बहुत कम रह गई है। जस्टिस गोगोई पर यौन शौषण के आरोप लगने पर सुप्रीम कोर्ट के एक वकील उत्सव बैंस ने जस्टिस गोगोई पर लगे यौन शोषण के आरोपों के पीछे साजिश होने का दावा किया था।

सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस संजय किशन कौल की अगुआई वाली बेंच ने इस मामले में 21 महीने बाद गुरुवार को सुनवाई शुरू की थी। सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला सुप्रीम के रिटायर्ड जस्टिस ए.के. पटनायक की रिपोर्ट के आधार पर लिया जिन्हें जज के खिलाफ साजिश की जांच करने का काम सौंपा गया था।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जस्टिस पटनायक की रिपोर्ट में साजिश को स्वीकार किया गया है जिसे खारिज नहीं किया जा सकता। दरअसल जस्टिस गोगोई ने चीफ जस्टिस रहते हुए कुछ कड़े फैसले किए जो साजिश को बल देते हैं। रिपोर्ट में एक इंटेलिजेंस ब्यूरो के इनपुट का हवाला भी है। इसमें बताया गया है कि असम में नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स NRC को आगे बढ़ाने की वजह से कई लोग जस्टिस गोगोई से खुश नहीं थे।
इस मामले की अंतिम सुनवाई 25 अप्रैल 2019 को जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस रोहिंटन फली नरीमन और जस्टिस दीपक गुप्ता की बेंच ने की थी। तब सुप्रीम कोर्ट ने इसकी जांच करने का फैसला किया था कि ये आरोप चीफ जस्टिस और सुप्रीम कोर्ट की गरिमा को नुकसान पहुंचाने की साजिश तो नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट की एक महिला कर्मचारी ने पूर्व चीफ जस्टिस गोगोई पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था जो 2018 में जस्टिस गोगोई के आवास पर बतौर जूनियर कोर्ट असिस्टेंट के पद पर कार्यरत थी। महिला कर्मचारी जस्टिस गोगोई के खिलाफ शिकायत करते हुए अपने हलफनामे की कॉपी सुप्रीम कोर्ट के 22 जजों को भेजी थी। अप्रैल 2019 में मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हुई थी।