सुप्रीम कोर्ट ने डीके शिवकुमार के खिलाफ दर्ज मनी लांड्रिंग मामला किया ख़ारिज
- महेश गुप्ता
सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक के उप मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार को बड़ी राहत दी है, सुप्रीम कोर्ट ने डीके शिवकुमार के खिलाफ 2018 में दर्ज मनी लांड्रिंग मामले को निरस्त कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आपराधिक साजिश यानी IPC की धारा 120B के आरोप में अगर किसी एजेंसी ने किसी को आरोपी बनाया हो, तो यह ED की तरफ से PMLA का मुकदमा दर्ज करने के लिए पर्याप्त नहीं है। अगर PMLA कानून में दिए गए अपराध की साजिश में कोई शामिल रहा हो, तभी मुकदमा चल सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जांच एजेंसी डीके शिवकुमार के यहां से बरामद पैसे को मनी लांड्रिंग से जोड़ने में असफल रही है। शिवकुमार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर 2019 में कर्नाटक हाई कोर्ट की ओर से ईडी के समन को निरस्त करने की मांग को खारिज करने के फैसले को चुनौती दी थी। साल 2017 में आयकर विभाग ने डीके शिवकुमार के कई ठिकानों पर छापेमारी की थी। आयकर विभाग के छापे के बाद ईडी ने जांच शुरू की थी।
ईडी की जांच के बाद सीबीआई ने कर्नाटक सरकार से डीके शिवकुमार के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की अनुमति मांगी थी, 3 सितंबर 2019 को शिवकुमार को ईडी ने गिरफ्तार किया था, जिसके 50 दिन बाद 23 अक्टूबर को हाई कोर्ट ने शिवकुमार को जमानत दी थी। हाई कोर्ट की ओर से दिए गए जमानत के आदेश के खिलाफ ईडी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट ने ईडी की याचिका खारिज कर दी थी।
शिवकुमार के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि डीके शिवकुमार के खिलाफ ईडी की जांच में कहा गया है कि उन्होंने आपराधिक साजिश रची थी। एजेंसी का यदि यह आरोप है तो फिर यह आईपीसी के सेक्शन 120 के तहत आता है. ऐसे में यह केस प्रवर्तन निदेशालय के तहत नहीं आता है। सिंघवी ने कहा कि हाई कोर्ट का आदेश गलत था क्योंकि सिर्फ 120बी के तहत आने वाले अपराध की जांच प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग ऐक्ट के तहत नहीं की जा सकती।