विवाह जब सिर्फ कागज पर रह जाए तो उसे तोड़ देना बेहतर: सुप्रीम कोर्ट
- महेश गुप्ता
तलाक के एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अलादतों को तलाक के ऐसे मामलों को लंबा नहीं खींचना चाहिए, जिसमें शादी सिर्फ कागज पर ही बची हो, क्योंकि इससे किसी भी पक्ष को फायदा नहीं होता।
सुप्रीम कोर्ट ने शादी के 24 साल पुराने विवाद में ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए विवाह को भंग कर दिया है। इस फैसले के लिए सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 142 के प्रावधानों के तहत अपनी विशेष शक्तियों का इस्तेमाल किया है।
फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अदालत को ऐसे विवाह को नहीं बचाए रखना चाहिए, जो सिर्फ कागज पर बचे रहते हैं। इसमें पति और पत्नी 24 वर्षों से अलग-अलग रह रहे थे। सुप्रीम कोर्ट ने माना कि वैवाहिक जीवन के प्रति दंपति का दृष्टिकोण मौलिक रूप से अलग था और एक-दूसरे को समझने से लगातार मना करना आपसी क्रूरता के समान था, जिसे ठीक नहीं किया जा सकता।
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस मनमोहन और जस्टिस जॉयमाला बागजी की पीठ ने इस मामले में पति की याचिका को स्वीकार करते हुए ट्रायल कोर्ट द्वारा दिए गए तलाक के फैसले को बहाल कर दिया। गुवाहाटी हाई कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के इस फैसले को पलट दिया था, जिसके खिलाफ याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कर्ट का दरवाजा खटखटाया था।

