राष्ट्रपति तय समयावधि में मंजूर करें विधेयक: सुप्रीम कोर्ट
- महेश गुप्ता
नयी दिल्ली, सुप्रीम कोर्ट ने अभूतपूर्व मत व्यक्त करते हुए कहा है कि राष्ट्रपति को तय समयसीमा में विधेयकों मंजूर करना चाहिए। कोर्ट ने यह बात संविधान के अनुच्छेद 201 के तहत राज्यपालों द्वारा भेजे गए विधेयकों के संबंध में कही। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राष्ट्रपति को राज्यपाल द्वारा विचार के लिए रखे गए विधेयकों पर संदर्भ प्राप्त होने की तिथि से 3 महीने में निर्णय लेना आवश्यक है। इससे ज़्यादा समय होने पर उचित कारणों को दर्ज करना होगा और संबंधित राज्य को सूचित भी करना होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब अनुच्छेद 201 के तहत राष्ट्रपति के समक्ष मंजूरी के लिए कोई विधेयक प्रस्तुत किया जाता है और वह निर्णय लेने में निष्क्रियता दिखाते हैं और उनकी यह निष्क्रियता तीन महीने की तय समयसीमा से अधिक हो जाती है, तो राज्य सरकार के लिए इस न्यायालय से परमादेश रिट मांगने का विकल्प खुला होगा। कोर्ट के अनुसार इस अवधि से परे किसी भी देरी के मामले में, उचित कारणों को दर्ज करना होगा और संबंधित राज्य को सूचित करना होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि मामले में राज्यों को सहयोगात्मक रवैया अपनाना चाहिए और यदि प्रश्न उठते हैं तो उनका उत्तर देकर सहयोग करना चाहिए और केंद्र सरकार द्वारा दिए गए सुझावों पर शीघ्रता से विचार करना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि राष्ट्रपति और राज्यपाल दोनों द्वारा सहमति को रोकना संवैधानिक लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों के तहत अस्वीकार्य होगा।
यह पहली बार है कि राष्ट्रपति के लिए इस तरह की समयावधि निर्धारित की गई है। सुप्रीम कोर्ट का यह मत इस तथ्य के मद्देनजर महत्वपूर्ण है कि संविधान राष्ट्रपति के लिए दया याचिकाओं और न्यायिक नियुक्तियों सहित कई मुद्दों पर अपनी कार्यकारी शक्तियों का प्रयोग करने के लिए ऐसी कोई समय-सीमा निर्धारित नहीं करता है।