सेशन कोर्ट ने 13 दिन में सुनाई थी फांसी की सजा, अब सुप्रीम कोर्ट ने फैसला बदलकर दिया, 20 साल जेल में काटने होगें दोषी को।

सुप्रीम कोर्ट ने ग्वालियर में जुलाई 2018 में हुए नाबालिग लड़की के अपहरण, हत्या और बलात्कार के एक मामले में दोषी की सजा में बड़ा बदलाव किया है। दोषी को जिला एवं सत्र न्यायालय ने फांसी की सजा सुनाई थी, वहीं हाईकोर्ट ने भी यही सजा बरकरार रखी थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुए आरोपी के पक्ष में फैसला सुनाया है।

 

ग्वालियर जिले के बहुचर्चित और सनसनीखेज अपहरण, हत्या और बलात्कार के मामले में फांसी की सजा पाए जितेंद्र कुशवाहा को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. जितेंद्र को अब फांसी के फंदे पर नहीं लटकाया जाएगा, बल्कि उसे अपने जीवन के 20 साल जेल में ही गुजारने होंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उसकी फांसी की सजा की अपील पर सुनवाई करते हुए फांसी को 20 साल के कठोर सश्रम कारावास की सजा में बदल दिया है.

जितेंद्र कुशवाहा ने कंपू थाना क्षेत्र के आमखो पहाड़ी के पास भिंड से शादी समारोह में शामिल होने अपने परिजनों के साथ आई नाबालिग लड़की का न सिर्फ अपहरण किया बल्कि उसे एक सुनसान स्थान पर ले जाकर उसके साथ दुष्कर्म भी किया था. आरोपी ने दुष्कर्म के बाद सबूत मिटाने के युवती को मौत के घाट उतार दिया था. घटना के सीसीटीवी फुटेज भी पुलिस को मिले थे, जिसमें जितेंद्र लड़की का हाथ पकड़ ले जाते हुए नजर आ रहा था.

ग़ौरतलब है कि जुलाई 2018 में हुई इस वारदात की संवेदनशीलता और लोगों भारी ग़ुस्से को देखते हुए ट्रायल कोर्ट ने काफ़ी त्वरित सुनवाई की थी।
सेशन कोर्ट ने सिर्फ 13 दिन में सुनवाई पूरी करके जितेंद्र कुशवाहा को फांसी की सजा सुना दी थी। सेशन कोर्ट ने यह फैसला 27 जुलाई 2018 को दिया गया था, इसमें लगभग तीन दर्जन लोगों की गवाही हुई थी।
सेशन कोर्ट के फ़ैसले के खिलाफ दोषी ने हाई कोर्ट में अपील की थी लेकिन हाईकोर्ट ने भी उसकी फांसी की सजा बरकरार रखी थी। इसके बाद जितेंद्र ने हाईकोर्ट से मिली अपनी सजा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी।